बावरा मन

बावरा मन


अजब बावरे नयन ये मेरे, तुझसे मिलना भी चाहें
जब तू सामने आए, पलकें उठने न पाएं।

जी तो चाहे तुझे बन्द कर लूं  दिल में
ये ख्याल भी की तुझ पे हक कैसे जताएं।

जो न आए ख्यालों में आज तक
उन्हें जिंदगी में हम कैसे लाएं।

यूं तो तुझे पास भी नहीं वफा का
दिल डरता है तुझे कैसे बेवफा बताएं।

खून मेरा तुझे माफ है ए दोस्त
तुझे दोस्त कहा है, दुश्मन कैसे बनाएं।।

आभार - नवीन पहल - २३.०९.२०२३ 🙏🎈❤️🌹

# दैनिक प्रतियोगिता हेतु कविता 


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3 Comments

बेहतरीन

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Varsha_Upadhyay

24-Sep-2023 06:31 AM

Nice

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Reena yadav

23-Sep-2023 08:28 PM

👍👍

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